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Apple : को 4500 Crore का नुकसान जाने क्यों लगा इतना रूपया एप्पल को ?

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Apple :  ऐपल को भरना पड़ सकता है 4500 Crore का जुर्माना! हां। बेसिकली फाइव, थर्टी, नाइन मिलियन यूएस डॉलर और रुपीस में देखें तो कुछ  4500 Crore लेकिन इस बार ऐसा हो क्या गया जो ऐपल को फाइन भरना पड़ रहा है। क्योंकि अब तक तो यही सुनते थे ना कि ऐपल ने लॉ शूट्स फाइन किए और दूसरी पार्टी को फाइन भरना पड़ता था। लेकिन अब ऐपल ही बस गया है। क्यों? ऑलमोस्ट हर कंट्री में हम सबको पता है। वो भी एक बड़े मार्केट कैप के साथ है और iPhone इस कंपनी का बेस्ट सेलिंग प्रोडक्ट रहता। विजुअली प्लस उसके यूजर्स भी प्रिफर करते हैं। उन्हीं सर्विसेज और ऐप्स को लेना जो ऐपल खुद प्रोवाइड कराती है। इन्क्लूडिंग ऐपल म्यूजिक सिक्योरिटी कंसर्न। और अभी कुछ टाइम पहले पता चला कि ऐपल म्यूजिक के इतने पॉप्युलर होने का रीजन यह भी था कि ऐपल खुद से कॉम्पिटीटर्स के ऐड्स या प्रमोशंस यूजर तक पहुंचने ही नहीं देती थी। शायद इसी वजह से हम देखते थे कि जिसने एक बार ऐपल म्यूजिक को सबस्क्राइब कर लिया, फिर उसी ऐप से लॉयल हो जाता था इंसान। अब अगर कॉम्पटीशन सस्ते में म्यूजिक स्ट्रीमिंग सर्विसेज लोगों को दे रहा है तो कंपनी का तो नुकसान है ही इसमें वो भी दोनों तरफ से। क्योंकि या तो आप अपने सब्सक्राइबर्स लूज करोगे ऐसे में या फिर अपनी सर्विस के चार्जेस कम करोगे। आप हुआ दोनों तरफ से नुकसान लेकिन वह तब होगा जब लोगों को पता चलेगा। इस सबके बारे में कि Apple ने लोगों तक पहुंचने नहीं दी।

यह बात है कि कौन कितने में क्या ऑफर कर रहा है। जिन्हें अपने आप पता चलता गया, वह बात अलग रही उनकी। अब फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के हिसाब से Apple Music के जो कॉम्पिटीटर्स हैं, उन्हें इस सबकी भनक तब लगी जब लास्ट ईयर Apple Music के सबसे बड़े राइवल स्पॉटिफाई ने एक कंप्लेंट फाइल की। Apple की इस मार्केट प्रैक्टिस के अगेंस्ट और इसी की वजह से कंपनी को 4500 Crore  का फाइन भरना पड़ेगा। हुआ क्या था कि 2019 में स्पॉटिफाई ने Apple के अगेंस्ट एक कंप्लेंट फाइल की थी, जिसमें स्पॉटिफाई ने क्लेम किया कि Apple की पॉलिसीज कॉम्पिटीशन खत्म कर रही हैं। मतलब साफ सीधी बात यह है कि एप्पल स्टोर पर कुछ ऐसी पॉलिसीज रखी गई हैं, जिनके चलते Apple चाहे तो अपने हिसाब से ऐप्स और यूजर्स दोनों को बांधकर रख सकता है लोगों को स्टोर पर लोग किस की तरफ ज्यादा डायवर्ट हों। बेसिकली अपने प्लैटफॉर्म पर अपने ऐप्स को प्रायोरिटी दे रही कंपनी। और फिर जब जांच बैठी तब यूरोपियन यूनियन ने धर दिया। Apple के सर पर 4500 Crore  का जुर्माना। वैसे देखा जाए तो बहुत हल्का है फाइन। क्योंकि इनीशियल यूरोपियन यूनियन ने कुछ 3,50,000 Crore का जुर्माना लगाया था।  3,50,000 Crore रोड़ और  4500 Crore । डिफरेंस देख रहे हो?

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अभी तक Apple की तरफ से रीसेंटली कोई ऑफिशियल स्टेटमेंट आया नहीं है। फाइन को लेकर जो ईयू ने इस कंपनी पर लगाया है उनके कॉम्पिटीशन लॉ के वॉयलेशन के चलते। यहां पर Apple यूरोपियन यूनियन क्योंकि देखो एक तरफ देखा जाए तो कोई भी अपना धंधा बचाने के लिए ऐसी टैक्टिक्स लगायेगा ही। लेकिन लॉस भी फॉलो करने होते हैं और कॉम्पिटीशन लॉ। हर Country में एक बात जरूर कहता है कि ऐसी मार्केट प्रैक्टिसेज कभी न करें, जिसके चलते आपके मुकाबले में जो छोटे प्लेयर्स है न मार्केट में उन्हें डॉमिनेट करने लग जाएं। आप आप उनकी ग्रोथ ही रोक दें। अपने कारनामों के चलते बाकी आप बताओ, ऐपल बाहर जो कोशिश कर रहा है, जो अपनी टैक्टिक्स का इस्तेमाल कर रहा है, उन्हें एक तरफ रख देते हैं।

 

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