America and China : अमेरिका ने चीन में बनी क्रेनों को सुरक्षा के लिए खतरा बताया है और कहा है कि वह आने वाले पांच सालों में अपने देश में क्रेन बनाने के लिए 20 अरब डॉलर खर्च करेगी। साथ ही America ने कहा है कि China में बनी क्रेन को लेकर Cyber खतरे को देखते हुए America कोस्ट गार्ड भी नए निर्देश जारी करेगी। दूसरी तरफ China ने America के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अमेरिका का यह दावा कि चीन में बनी क्रेनों से सुरक्षा खतरा हो सकता है, पूरी तरह से निराधार है। “क्रेन” खास तरह की भारी मशीनें होती हैं, जिनका इस्तेमाल इमारतों के निर्माणकार्य, बंदरगाहों में कंटेनर्स को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने और जहाजों पर कंटेनर रखने उतारने जैसे कामों में किया जाता है। इन्हें “टावर क्रेन” भी कहा जाता है। हाल के वक्त में ऑटोमेटेड क्रेन का भी निर्माण किया जा रहा है, जो तेजी से अपने काम को अंजाम देती हैं। स्टैटिस्टिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में ग्लोबल मार्केट में China क्रेन का सबसे बड़ा निर्यातक था। इसके बाद दूसरे पायदान पर Germany और तीसरे पर स्पेन था। चीन और अमेरिका के बीच क्रेन से जुड़े इस मामले की बात करें तो बीती 21 फरवरी को बाइडन प्रशासन ने अमेरिकी बंदरगाहों में Cyber Security बढ़ाने के लिए एक मुहिम की घोषणा की। सरकार ने कहा कि अगले पांच सालों तक वह अमेरिकी बंदरगाहों के ढांचागत विकास के लिए 20 अरब डॉलर का निवेश करेगी। व्हाइट हाउस ने अपने बयान में कहा कि अमेरिका में रणनीतिक तौर पर अहम कमर्शियल बंदरगाहों में सामान की ढुलाई में इस्तेमाल होने वाली चीन में बनी क्रेन से जुड़ी Cyber Security को लेकर अमेरिकी कोस्ट गार्ड निर्देश जारी करेगी।
America and China : वहीं चीन के सरकारी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि अमेरिका चीन में बनी क्रेन की जगह देश में बनी क्रेन का इस्तेमाल करना चाहता है, क्योंकि उनका दावा है कि इनमें आधुनिक सॉफ्टवेयर लगे हैं, जिनसे कथित तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। इस साल जनवरी में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेन बिन ने कहा था कि अमेरिका के राजनेता चीन से खतरे की बात को बढ़ा चढ़ाकर पेश कर रहे हैं, लेकिन असल में वह अपना सही उद्देश्य दिखा रहे हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर चीन की विकास की गाड़ी को धीमा करना है। जेड पीएमसी दुनिया की सबसे बड़ी क्रेन बनाने वाली कंपनी है, जो बंदरगाहों के लिए क्रेन बनाती है। चीन की कंपनी स्विस कंपनी एबीबी के साथ मिलकर काम करती है, लेकिन यह करार शक के दायरे में है। अमेरिकी कांग्रेस की दो समितियां बनाई गई हैं, जो इन दोनों कंपनियों के काम की सुरक्षा जांच कर रही हैं। बीते साल जुलाई में जापान के सबसे बड़े नागोया बंदरगाह पर Ransomware Cyber हमला हुआ, जिसके कारण बंदरगाह का कामकाज 48 घंटों तक ठप रहा। इस Cyber हमले के बाद समुद्र की सुरक्षा से जुड़े जानकारों ने इस इंडस्ट्री को लेकर चिंता जताई थी और कहा था कि साइबर हमले से बचने के लिए यह इंडस्ट्री पूरी तरह तैयार नहीं है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसी साल अमेरिकी खुफिया एजेंसी FBI के निदेशक क्रिस्टोफर रे ने अमेरिकी संसद की एक समिति से कहा था कि चीनी Hackers अमेरिकी इंफ्रास्ट्रक्चर पर पकड़ बना रहे हैं ताकि तबाही मचा सकें और चीन के इशारे पर अमेरिकी नागरिकों को नुकसान पहुंचा सकें। Click Here