F-35 Viman : को भारत भी ला रहे है अपने देश, “f-35” क्या है और जाने इनका कहानी ?

F-35 Viman: हेल्लो दोस्तों आज मई आपको बताने जा रह हु F-35 के बाड़े में , चाहे आप माने या ना माने लेकिन तुर्की के लडाकू विमान ने दो देशो की नींद उड़ा कर रख दी है। पहला है अमेरिका। दूसरा है भारत। अमेरिका इसलिए क्योंकि अमेरिकी प्रशासन कभी नहीं चाहता था कि तैयब अर्दोगान के राष्ट्रपति होते हुए तुर्की जैसे देश के हाथ में इतनी घातक टेक्नोलॉजी आए। और इसीलिए नाटो देश का सदस्य होते हुए भी अमेरिका ने बाकी के नाटो देशों को F-35 स्टेल्थ लड़ाकू विमान दिया, लेकिन तुर्की को नहीं दिया। यहां तक कि तुर्की शुरुआत में F-35 प्रोग्राम में शामिल था। F-35  के कई सारे जो स्पेयर पार्ट थे या कहीं जो हिस्से थे वह तुर्की में ही मैन्युफैक्चर होने थे। लेकिन अमेरिका ने अर्दोगान की वजह से तुर्की को इस प्रोग्राम से बाहर भी कर दिया था और उसी वजह से तुर्की ने गुस्से में आकर अपने कान लड़ाकू विमान को बनाने की ठानी थी और आज वह बनकर तैयार है, उड़ान भर रहा है। हालांकि यह कितना स्टेल्थ है? क्या इसकी इंजन की परफॉर्मेंस है? क्या लड़ाकू विमान की परफॉर्मेंस है, यह आने वाले दिनों में हमें पता लग पाएगा। लेकिन फिलहाल के लिए तुर्की स्टेल्थ क्लब में शामिल हो चुका है। वहीं बात करें भारत की तो हमारे लिए सबसे ज्यादा चिंता की बात है क्योंकि अमेरिका के पास F-2  है। वह बड़ी आसानी से इसकी काट कर लेगा। बल्कि उससे कहीं ज्यादा लीथल टेक्नोलोजी अमेरिका के पास है। इसलिए वह टेंशन में इतनी नहीं है। भारत ज्यादा है क्योंकि यह बात आप लगभग मानकर चलिए कि आने वाले कुछ सालों में यह तुर्की का कौन स्टेल्थ लड़ाकू विमान आपको पाकिस्तानी वायु सेना के हाथों में देखने को मिलेगा और ऐसी स्थिति में भारतीय वायु सेना को एक बड़े खतरे का सामना करना पड़ेगा।

F-35
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क्योंकि इतनी लीथल टेक्नोलॉजी हाथ में आने के बाद पाकिस्तान की वायु सेना शांत नहीं बैठने वाली। यह कोई ना कोई शरारत जरूर करेंगे। वहीं दूसरी तरफ हमारे चीन है जो अपने जेट ट्वंटी स्टेल्थ लड़ाकू विमान में लगातार सुधार कर रहा है और यह बात अमेरिकी एक्सपर्ट कह चुके हैं कि भले ही जे ट्वंटी आज स्टेल्थ न हो लेकिन आने वाले कुछ ही सालों में चीनी सरकार इसे स्टेल्थ बना सकती है क्योंकि वह दबा कर पैसा इन्वेस्ट कर रहे हैं अपने इस जे ट्वेंटी पर। इसीलिए अब सवाल ये उठता है कि क्यों न भारत भी एक स्टेल्थ लड़ाकू विमान तुरंत खरीद ले। क्योंकि पिछले कुछ महीनों से एम को लड़ाकू विमान बनाने की जो प्रोग्रेस है वह बहोत ही ज्यादा स्लो हो चुकी है और इसे बनने में कुछ साल का वक्त लगेगा। इसीलिए सवाल उठता है कि क्या हम अपने सुखोई, F-35 और राफेल लड़ाकू विमानों के भरोसे अपनी वायु सीमा को ऐसे ही छोड़ दें? जबकि हमारे दुश्मनों के पास स्टेल्थ टेक्नोलॉजी आ चुकी है जो कि रडार को एयर डिफेंस सिस्टम को आसानी से चकमा देकर हमारी वायु सीमा का उल्लंघन आसानी से कर सकते हैं। इसीलिए भारत के डिफेंस सर्कल में अब स्टेल्थ लड़ाकू विमानों को लेकर चर्चा तेज हो चुकी है और इसी बीच एक बहुत बड़ी खबर सामने आई है। खबर यह कि अमेरिका का F-35 फाइव लड़ाकू विमान भारत आ रहा है। जी हां, इसको लेकर चर्चा खूब है और बताया जा रहा है कि इस साल तरंग शक्ति 2024 पहला भारत का मल्टी नेशनल युद्धाभ्यास होगा |

जिसमें कई देशों की वायु सेनाएं हिस्सा लेंगी। इसमें फ्रांस अपना राफेल लेकर आएगा। यूरोप की तरफ से यूरोफाइटर टाइफून आएगा। वहीं अमेरिका अपना एफ फिफ्टीन ईएक्स और इसके अलावा एफए तीन सुपर हॉर्नेट लेकर आएगा। और चर्चा यह भी है कि अमेरिका अपना F-35  लड़ाकू विमान भी लेकर आ सकता है। क्योंकि आपको याद होगा कि पिछले ही साल जो भारत में एयर शो हुआ था, उसमें भी अमेरिका का F-35 आया था और इस बार अमेरिका दोबारा इसे लेकर आ सकता है ताकि भारतीय वायु सेना इसे अच्छे से देख कर एक्सपीरियंस कर सके। और अमेरिका ऐसा इसलिए करेगा क्योंकि भारत की MRF Deal इस साल फाइनल होने की पूरी उम्मीद है, जिसके तहत भारत 114 लड़ाकू विमान खरीद सकता है। अमेरिका पहले इस डील में अपने AFA तीन सुपर हॉर्नेट और 15 एक्स को पेश कर रहा था। भारत के सामने क्या आप हमसे खरीद सकते हैं? लेकिन वह अब भारत की जरूरतों को देखते हुए F-35 को भी भारत के सामने पेश कर सकता है। क्योंकि अब से 1 या 1.5  साल पहले तक अमेरिका भारत को F-35 देने में कंफर्टेबल नहीं था। लेकिन हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस में ऐसे बिल पास हुए हैं जिसके तहत अमेरिकी सरकार भारत को अपनी क्रूशियल टेक्नोलोजी भी बेच सकती है जैसे कि स्टेल्थ लड़ाकू विमान और अमेरिका। इस साल शक्ति युद्धाभ्यास के दौरान इसे भारतीय वायु सेना के सामने दोबारा पेश करके भारत के साथ बातचीत यहां पर कर सकता है। हालांकि कुछ लोगों को जिन्हें नहीं पता है F-35 की बात हम इतनी ज्यादा क्यूं कर रहे हैं। वह इसलिए क्योंकि इस समय धरती पर दो ही प्रोपर स्टेल्थ लड़ाकू विमान मौजूद हैं। पहला है अमेरिका का F-2  रैप्टर। दूसरा है अमेरिका का F-35। यानी कि अमेरिका के पास ही 2 फिफ्थ जेनरेशन टेक्नोलोजी मौजूद है। तुर्की का जो कान है जिसे तुर्की स्टेल्थ लड़ाकू विमान कह रहा है और उसे वैलिडेट नहीं किया गया है। वहीं रूस का 57 और चीन का J-20 भी पूरी तरीके से स्टेल्थ लड़ाकू विमान नहीं हैं। स्टेल्थ की कटेगरी में सिर्फ दो ही आते हैं F-22 या फिर F-35। यह दो प्रोपर स्टेल्थ लड़ाकू विमान हैं। ऐसे में अगर भारत F-35 की तरफ जाता है तो बड़ी आसानी से हम चीन के J-20 की भी काट कर सकते हैं। इसके अलावा तुर्की का जो कान है उसे तो बहुत ही आसानी से कर जाएंगे क्योंकि तुर्की ने उसे F-35  की कॉपी से ही बनाया है।

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